डकार के समेलन में तमाम देश के नेतावों ने दश्तखत किया था और लक्ष्य बनाया था की २०१५ तक विश्व के सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा, गुन्वातापूर्ण शिक्षा, उन बच्चों को शिक्षा की परिधि में ले लिया जाएगा जो समज के विकास में हाशिये पर हैं. इसके साथ ही सब के लिए शिक्षा 'ईअफ ए' में सिक्स लक्ष्य रखे गए थे. इसमें हर बच्चे को बिना किसी भेद भाव ' जाती, वर्ण, लिंग , भाषा' से परे गुन्वात्तापुर्न्न शिक्षा दी जायेगी.
०-६ साल उम्र के बच्चों को खतरा होता है. ख़ास कर शुरू के ०-३ साल के बच्चों को कुपोषण, एनेमिक भूख आदि के साथ ही रोगायुन्यो के अत्तैक का खतरा होता है. गौरतलब है की शुरू के २९ दिन में बच्चे ज्यादा मरते हैं. कारन ठीक रख्राख्वो की कमी, दवा, आदि की अनुप्लाब्धाथा की स्थिति में बच्चे काल शिकार हो जाते हैं. डकार कोन्वेन्सिओन में बच्चों को वाजिब देख भाल और दवा आदि मुहैया करना था. लेकिन हकीकत यह है की न केवल भारत बल्कि विश्वो के लाखों बच्चे jnam के कुछ ही हप्ते बाद मर जाते हैं. आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में २९.७ फीसदी , बिहार में १८.६ फीसदी madhya प्रदेश में १०.६ फीसदी बच्चे हैं जो क्रिटिकल सितुअतिओन में जीवन बसर कर रहे हैं. कुपोषण से मरने वाले बच्चों कर दर ५० फीसदी से bhi ज्यादा है. लेकिन इन बच्चों को बेहतर सितुअतिओन मुहैया करने के प्रति सरकार , मीडिया, पोलिटिकल पार्टी समाज के जागरूक लोगों के पास समय नहीं है.
ग्लोबल एक्शन वीक २३ से २९ अप्रैल को 'बचपन पुरवा देख भाल और शिक्षा' को लेकर आवाज बुलंद करने वाली है. देखते हैं मीडिया , सरकार और समाज में किस तरह बच्चों के प्रति अपनी जीमेदारी निभाते हैं.
०-६ साल उम्र के बच्चों को खतरा होता है. ख़ास कर शुरू के ०-३ साल के बच्चों को कुपोषण, एनेमिक भूख आदि के साथ ही रोगायुन्यो के अत्तैक का खतरा होता है. गौरतलब है की शुरू के २९ दिन में बच्चे ज्यादा मरते हैं. कारन ठीक रख्राख्वो की कमी, दवा, आदि की अनुप्लाब्धाथा की स्थिति में बच्चे काल शिकार हो जाते हैं. डकार कोन्वेन्सिओन में बच्चों को वाजिब देख भाल और दवा आदि मुहैया करना था. लेकिन हकीकत यह है की न केवल भारत बल्कि विश्वो के लाखों बच्चे jnam के कुछ ही हप्ते बाद मर जाते हैं. आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में २९.७ फीसदी , बिहार में १८.६ फीसदी madhya प्रदेश में १०.६ फीसदी बच्चे हैं जो क्रिटिकल सितुअतिओन में जीवन बसर कर रहे हैं. कुपोषण से मरने वाले बच्चों कर दर ५० फीसदी से bhi ज्यादा है. लेकिन इन बच्चों को बेहतर सितुअतिओन मुहैया करने के प्रति सरकार , मीडिया, पोलिटिकल पार्टी समाज के जागरूक लोगों के पास समय नहीं है.
ग्लोबल एक्शन वीक २३ से २९ अप्रैल को 'बचपन पुरवा देख भाल और शिक्षा' को लेकर आवाज बुलंद करने वाली है. देखते हैं मीडिया , सरकार और समाज में किस तरह बच्चों के प्रति अपनी जीमेदारी निभाते हैं.
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