सोमवार, 30 अप्रैल 2012

global action week in india with delhi

जी पुरे देश में तक़रीबन ११ राज्यों में २२ से २८ अप्रैल के बीच ग्लोबल एक्शन वीक मनाया गया. ऊपर जिन तस्वीरों को देख रहे हैं ये ग्लोबल एक्शन वीक २०१२ के हैं. इस साल ० से ६ आयु वर्ग के बच्चों के देखभाल और शिक्षा पर केन्द्रित था. देल्ल्ही के जनकपुरी के निगम प्रतिभा विद्यालय सी५ में में २८ को मनाया गया.

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उनिस्को के भारत में प्रमुख श्री शिन्गेरू थे. वहीँ मंच में साथ थीं उन...िसफ़ की भारत में शिक्षा विभाग में प्रोग्राम ऑफिसर उकाको फूजी मूरी. साथ ही वर्तमान कांस्लेर अनीता ममतानी मौजूद थीं.

झारखण्ड, मुंबई , उड़ीसा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश आदि जगहों में ग्लोबल एक्शन वीक मनाया गया.

यह अवसर होता है हर साल राज नेतावो को याद दिलाना की साहब आप लोगों ने डकार में सहमती पात्र पर दस्तखत किया था की २०१५ तक ० से ६ आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा मिल जायेगी. मगर अभी यह लक्ष्य दूर है.

कार्यक्रम के बाद राज्यों में महामहीम राजपाल को ज्ञापन चार्टर सौपा गया.

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

जल जल ही समाना

जल में कुम्भ कुम्भ में जल है,
बाहर भीतर पानी, फुट घट जल जल ही समाना ये तट जानो जनि...
कबीर की इस पंक्ति में कितना गहरा अर्थ छुपा है इसका अंदाजा इसी बात से मिलती है की इस गूढ़ वाक्य को दर्शन से लेकर इः लोक के रिश्तों पर भी घटा कर देख सकते हैं.
जब तक हमारा यह घट होता है उसपर कितना नाज़ करते हैं. अहम्, अपराध, घोटाले और न जाने क्या और किस हद तक गिर जाते हैं.
इक बार घट फुट नहीं की वह कहाँ, किस जल्नीधि में समाहीत हो जाता है यह परदे के उस पर का दृश्य है. जो इन नेत्रों से परे है.
अपना हर कण, हर पल, हर साँस यैसे जीना चाहिए जैसे यही अंतिम और पहली हो. न जाने घट कब विलीन हो जाए.                 

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

जी हाँ 0-६ साल के बच्चे ज्यादा हैं हाशिये पर

डकार के समेलन में तमाम देश के नेतावों ने दश्तखत किया था और लक्ष्य बनाया था की २०१५ तक विश्व के सभी बच्चों को बुनियादी शिक्षा, गुन्वातापूर्ण शिक्षा, उन बच्चों को शिक्षा की परिधि में ले लिया जाएगा जो समज  के विकास में हाशिये पर हैं. इसके साथ ही  सब के लिए शिक्षा 'ईअफ ए'  में सिक्स लक्ष्य रखे गए थे. इसमें हर बच्चे को बिना किसी भेद भाव ' जाती, वर्ण, लिंग , भाषा' से परे गुन्वात्तापुर्न्न शिक्षा दी जायेगी. 
०-६ साल उम्र के बच्चों को खतरा होता है. ख़ास कर शुरू के ०-३ साल के बच्चों को कुपोषण, एनेमिक भूख आदि के साथ ही रोगायुन्यो के अत्तैक का खतरा होता है. गौरतलब है की शुरू के २९ दिन में बच्चे ज्यादा मरते हैं. कारन ठीक रख्राख्वो की कमी, दवा, आदि की अनुप्लाब्धाथा की स्थिति में बच्चे काल शिकार हो जाते हैं. डकार कोन्वेन्सिओन में बच्चों को वाजिब देख भाल और दवा आदि मुहैया करना था. लेकिन हकीकत यह है की न केवल भारत बल्कि विश्वो के लाखों बच्चे jnam के कुछ ही हप्ते बाद मर जाते हैं. आज की तारीख में उत्तर प्रदेश  में २९.७ फीसदी , बिहार में १८.६ फीसदी madhya प्रदेश में १०.६ फीसदी बच्चे हैं जो क्रिटिकल सितुअतिओन में जीवन बसर कर रहे हैं. कुपोषण से मरने वाले बच्चों कर दर ५० फीसदी से bhi ज्यादा है. लेकिन इन बच्चों को बेहतर सितुअतिओन मुहैया करने के प्रति  सरकार , मीडिया, पोलिटिकल पार्टी समाज के जागरूक  लोगों के पास समय नहीं है.
ग्लोबल एक्शन वीक  २३ से २९ अप्रैल को 'बचपन पुरवा देख भाल और शिक्षा' को लेकर आवाज बुलंद करने वाली है. देखते हैं मीडिया , सरकार और समाज में किस तरह बच्चों के प्रति अपनी जीमेदारी निभाते हैं.                       

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

ग्लोवल एक्शन वीक २३ अप्रैल से २९ अप्रैल तक




गौरतलब है की न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में भूख, कुपोषण, जन्मते बाल मृतु दर काफी है. २००१ में ९१४ लडकिय जन्मते मर जाती थीं वहीँ यह फीसदी कम होने के स्थान पर २०११ में यह आकड़ा ९४६ तक पहुच गया है. शिक्षा , स्वाथ्य, सुरक्षा भूख आदि से बच्चों को निजाद दिलाने के लिए विश्व के नेतावो ने नेशनल कोन्वेन्तिओन ऑफ़ चिल्ड रिघ्ट्स की घोषणा की थी. यानि २०१५ तक दुनिया के तमाम  बच्चे  शिक्षा, भूख, स्वाथ्य से वंचित नहीं रहेंगे. लेकिन आकडे बताते हैं की अभी भी देश के ८० लाख से भी अधिक बच्चे जनमते ही मर जाते हैं. इनमे लड़कियों की संख्या अधिक है. जनम के पहले २९ घंटे खासे अहम् होते हैं. इसी दौरान तमाम तरह के खतरे बच्चों पर होते हैं. यदि इस समय हमने संभल कर बच्चों को निकल लिया फिर वो जी जाते हैं.
ग्लोवल एक्शन वीक २३ से 29  अप्रैल को पुरे देश में एअर्ली चिल्धूद केयर एंड एदुकतिओन पर केन्द्रित कार्यक्रम करने जा रही है. इस दौरान पिक्टुरेस, स्लोगन, कहानी, बाल केन्द्रित प्रोग्राम आयोजित होंगे. इस के पीछे लक्ष्य आम लोगों के साथ ही सरकार के बीच जागरूकता पैदा करना है.
गौरतलब है की राईट तो एदुकतिओन शिक्षा का अधिकार २००९ महज ६ से १४ साल के बच्चों की शिक्षा की बात करता है. सवाल युथ्ता है की ० से  ६ साल के बच्चों को किसके कंधे पर डालें. ० से ६ साल के बच्चों को संजयान लेते हुवे ग्लोवल एक्शन वीक शुरू के ० से ३ साल के बच्चों की शिक्षा , स्वथ्या का मुदा ले कर आवाज बुलंद कर रहा है.
० से ३ साल का टाइम वो होता है जिसमे बच्चों को स्वाथ्य के प्रति खासे सजग होना होता है. लेकिन दुर्भाग्य है की इसी आयु के बच्चे ज्यादा काल के गाल में समां जाते हैं.